अब विद्वान बोले तो कौन .....
अब विद्वान कौन
कहलायेंगे। विद्वता की परिभाषा अब क्या होगी। सदियों से चली आ रही वही पुरानी तुकबंदी करने वाले लोग या आज के नए आएदियाज़वाले बन्दे। संस्कृत और सुध भाषा
में बतियाने वाले लोग या बिंदास और गहरी सोच रखने वाले लड़के - लड़कियां। आखिर ऐसा
क्यो है की हमारे सोच में परिवर्तन नही आ रहा। भीर भाड़ में जहाँ कोई भाषा या संस्कृत के दो शब्द बोला नही की हम मान बैठे की व्यक्ति कोई विद्वान मालूम पड़ता है। लेकिन ये समझ नही पाए की वो वही रटी रटाई बातें कह रहा है जो हमारे शास्त्रों में लिखी पड़ी है। दम हो तो उनकी arthon को आज के सन्दर्भ में साबित कर बताएं। कितनी उपयोगिता हैं उन श्लोकों शास्त्रों की, वो भी बताएं। मैं हमारे शास्त्रों की उपहास नही कर रहा बल्कि उनलोगों की विद्वता की बपौती का भ्रम
todanaa चाहता हूँ, जो अपनी रोज़ी रोटी इसी से चला रहें हैं। अपनी चला रहें है to कोई बात नही, दुःख तो ये हैं की नए लड़कों की काबिलियत और क्रियेतिविती को धत्ता बता रहें है। अब जयादा दिनों तक उनकी दुकान नही चलने वाली और nishchit आयिदियाज़ वाले बन्दे ही विद्वान साबित होंगे.un bando ko salam karen jinhone samaz ko ek nayi soch or disha di hai.kalpna ko hakikat mai badal kar samaz ko juban diya hai.ye samajhna hoga ki professionalism or widwan mein antar hai.jo aajtak widwan kahla rahen wo asal mai apne profession ko nipta rahen hain. naye bandon ne professionlism ki paribhasa badal ker apne andar sari tathyon ko sameta hai.apni dakchta apni mahnet se sidh ki hai.kisi ideas wale bande se ek wichar mang ker dekh le, itni option de dega ki visulise kerna muskil ho jayega.wahi purane widwano se baat kijiye to apko wahi le jane ki koshish karange jinke bare mai wo kuch rate rataye hai.mera to manna hai ki widwan wahi bande hai jo ideas ki bharmar apne sath liye chalte hai or unka socna hamesa english or hindi mai chalta rahta hai.aise bandon ko mera salam.or ek baar phir widwan bole to...idea or ideas wale bande ki jai ho.dunia tumhari or tum hi duniya ke malik ho.