Friday, 25 April 2008

तेरी महफ़िल में ख़ुद को आजमाकर हम भी देखेंगे

तेरी महफ़िल में ख़ुद को आजमाकर हम भी देखेंगे ....
अखबारी जगत से जुड़ते ही सोचा था की अखबारी महफ़िल में जम जाऊंगा। लेकिन कुछ ही दिनों में बीते दिनों के अखबारी पन्ने की तरह बिखर गया। अख़बार ने to अपना बनाने की बहुत कोशिश की मगर दिल है की मानता नही ... । एक बारगी तो ऐसा लगा की कहीं अखबारी raddi में सिमटा कोई प्रोडक्ट न बन जाऊँ। मन के आगे किसका जोर है ...मन ही तो हैं जो आदमी को लाचार बनता है। सो मैंने भी मन की बातें सुन फिलहाल अख़बार जगत को थैंक्स और कभी अलविदा न कहना बोल दिया है। इसबार जब मैं किसी अख़बार से जुरुंगा तो अखबारी महफ़िल मैं धूम मचा दूंगा ..... ये छोटीसी विश्राम मेरी इलेक्ट्रोनिक मीडिया को आजमाने की तयारी है। मैंने पत्रकारिता जगत को ही यू , मी और हम के सूत्र मे बाँधने का प्रण किया है। इसलिए बार बार ख़ुद को आजमाकर हम भी देखेंगे।

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