Wednesday, 9 April 2008

गांवों की दलान पर सवागत करते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मैंने कोई घर पर कार्यक्रम रखा है और आपको न्योता दे रहा हूँ। दालान पर आना है, कुछ खास बातें है। फिलहाल बेटियों की बात करूँगा और १-२ दिनों मे शहर और गांव की बेटियों पर गंभीर चर्चा होगी.

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